महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कुछ कारणों की तलाश
महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने की जरूरत है। पर कहां से शुरू करें दफ्तरों से चैराहों से
गली मोहल्लों से
या घर से कहां से समझ नहीं आता। गांव में मनरेगा में काम करने वाली औरतों से लेकर ऊंचे ओहदों में काबिज औरतें इस हिंसा से बच नहीं पा रही हैं। आखिर पुरुष और औरत के बीच किस बात को लेकर जंग चल रही है और इस जंग की शुरुआत कहां से हो जाती है?
यकीन मानिए इस लड़ाई की शुरुआत जन्म के पहले से ही हो जाती है। जब औरत के जहन में ये बात ठूंस-ठूंस का भारी जाती है कि पुत्र प्राप्ति से उसका गौरव बढ़ जाएगा। पत्नी पराए घर से आती है और बेटी पराए घर जाती है। शायद इसलिए!
स्त्री पुरुष के लिए बने अलग-अलग मानकों के लिए शायद यही परायापन जिम्मेदार है!
मैं सिर्फ कयास लगा सकती हूं। बिल्कुल ठीक उत्तर देना मुश्किल है।
कुछ कारण जो मुझे महसूस हुए--महिलाओं के खिलाफ हिंसा के
1-औरत को पराया मानना,
ससुराल में भी और मायके में भी। मानों औरत न हुई खानाबदोश हो गई।
2-एक अच्छी औरत वही जो सवाल न करे
जो आज्ञाकारी हो। जैसे सीता इसलिए पूजनीय हैं क्योंकि उन्होंने बगैर कुछ कहे सुने राम की आज्ञा मान ली थी। यहीं से आ गया आज्ञाकारी
पत्नीव्रता का गुण।
3- लक्ष्मण रेखा लांघना औरत के लिए वर्जित है
कारण फिर रामायण में जाकर ढूंढ़ना पडे“गा। सीता का अपहरण इसीलिए हुआ क्योंकि उन्होंने देवर लक्ष्मण की खींची रेखा को पार कर लिया था। इस रेखा की कहानी कभी-कभी तो मनगढ़ंत लगती है,
कहीं औरतों को सीमित करने के लिए एक दायरा तो नहीं बनाया गया।
4- चलिए कुछ और कारणों पर गौर करें-
औरत की इज्जत को पूरे घर की इज्जत से जबरन जोड़ देना। मसलन औरत की इज्जत पर हमला पूरे खानदान पर हमला माना जाता है। कई बार तो औरतों की इज्जत उताकर दो घराने एक दूसरे से दुश्मनी निभाते देखे गए हैं।
5-अब इज्जत क्या है?
किसी औरत के शरीर पर पुरुष द्वारा किया गया हमला क्या इज्जत जाना है। या फिर किसी पुरुष के साथ संबंध बनाना इज्जत का जाना है। हां,
पर सीता ने तो कुछ भी ऐसा नहीं किया था,
लेकिन उसे परीक्षा देनी पड़ी थी। मतलब समाज में कैसे भी करके एक अच्छी छवि बनाने की जिम्मेदारी औरत की है। पुरुष हमेशा डराता है,
कि अगर तुमने अपनी लक्ष्मण रेखा पार की तो तुम्हारी इज्जत लूट ली जाएगी। औरत घबराई,
सहमी इस लक्ष्मण रेखा के भीतर ही अपनी दुनिया बसा लेती है।
6- जो औरतें पुरुष रूपी लक्ष्मण द्वारा खींची रेखा को पार करती हैं
उन्हें रेखा के भीतर वाली औरतें भी कोसती हैं
बदचलन कहती हैं। अक्सर कहा जाता है कि औरत ही औरत की दुश्मन है। ये मुहावरा भी पुरुषों ने क्या खूब रचा है। अब रेखा के भीतर वाली औरत की दुनिया तो उसी के भीतर ही है। उसके बाहर वाली औरत तो एलियन ही लगेगी।
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