Thursday, September 3, 2009

स्वाइन फ्लू जांच पर सवालिया निशान

स्वाइन फ्लू जांच पर सवालिया निशान
संध्या द्विवेदी, नई दिल्ली
रेलिगियर एसआरएल डायग्नोस्टिक लैब में स्वाइन फ्लू के परीक्षण के लिए इकट्ठे किए गए नमूनों का विश्लेषण रेलिगियर नहीं बल्कि उद्योग विहार स्थित लैब इंडिया रिसर्च लैब में भी हो रहा है। हालांकि आधिकारिक तौर पर लैब इंडिया परीक्षण करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है। खुद लैब इंडिया के प्रबंध निदेशक वी एस उपाध्याय ने कहा कि रैनबक्सी की कंपनी रेलिगियर एसआरएल डायग्नोस्टिक लैब के चार सौ से ज्यादा संदिग्ध स्वाइन फ्लू के नमूनों का विश्लेषण उनकी लैब में हुआ है। यह पूछने पर की स्वाइन फ्लू परीक्षण के लिए एसआरएल और इंडिया लैब के बीच की गयी इस साझीदारी की जानकारी सरकार को थी कि नहीं। उनका जवाब था कि सरकार ने एसआरएल को आधिकारिक तौर पर परीक्षण के लिए स्वीकृति दी है। ऐसे में परीक्षण की पूरी प्रक्रिया की जिम्मेदारी रेलिगियर एसआरएल डायग्नोस्टिक लैब की है। कोई गड़बड़ी होने पर जवाबदेही रेलिगियर की है।
इस बीच, एक सबसे अहम सवाल यह भी उठता है कि रेलिगियर एसआरएल डायग्नोस्टिक लैब को स्वाइन फ्लू परीक्षण के लिए 27 तारीख को सरकार की तरफ से मंजूरी मिली थी लेकिन एनआईसीडी 10 तारीख से ही वहां पर जांच के लिए स्वाइन फ्लू नमूनों को भेज रही थी। दस तारीख से लेकर 27 तारीख तक 400 से भी ज्यादा नमूनों की जांच की गयी। लेकिन उनकी जांच लैब इंडिया में की गयी, जो कि स्वाइन फ्लू परीक्षण के लिए अधिकृत नहीं है। उस वक्त रैनबैक्सी की कंपनी एसआरएल के पास स्वाइन फ्लू परीक्षण मशीन रीयल टाइम पीसीआर नहीं थी, ऐसे में रेलिगियर नमूने इकट्ठे करती थी उसका इक्सट्रेक्ट भी निकालती थी लेकिन सबसे अंतिम और अहम चरण यानी नमूने का विश्लेषण लैब इंडिया में होता था।
उधर, रैलिगेयर परीक्षण लैब के डा. अशोक ने इस बात को माना की शुरुआती दौर में एनआईसीडी से आए सारे नमूने लैब इंडिया में ही भेजे गए थे। हालांकि, सवाल यह भी उठता है कि बगैर टेस्टिंग मशीन रीयल टाइम पीसीआर के एनआईसीडी ने स्वाइन फ्लू के नमूनों की जांच के लिए रेलिगियर को नमूने क्यों भेजे। सरकार ने दिल्ली की चार लैबों, डा. नवीन डैंग, औरोप्रोब, डा, लाल लैब रेलिगियर एसआरएल डायग्नोस्टिक लैब को स्वाइन फ्लू परीक्षण के लिए अनुमति दी है। गौरतलब है कि रेलिगियर 4500 में स्वाइन फ्लू परीक्षण कर रही है, जबकि अन्य तीनों लैब 9,000 में परीक्षण कर रही हैं। इतना ही नहीं दिल्ली सरकार खुद जांच नतीजा नेगिटिव होने पर 5,000 और पाजिटिव होने पर 10,000 खर्च आने की बात कह रही है। ऐसे में रेलिगियर ने 4,500 में जांच करने की बात कहकर प्राइस वार छेड़ दिया है। लेकिन ऐसे में जांच की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लग गए हैं।

2 comments:

  1. यह तो चिंता की बात है। इसपर गम्भीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
    ( Treasurer-S. T. )

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  2. ये प्राइस वार इसे एक हजार पर भी ला सकती है।

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