मम्मी की रोटी का समोसा,
पापा का दो रुपया।
अनमने से सुबह उठना,
नाक-भौं चढ़ाना।
मम्मी का चिल्लाना, पापा का बचाना,
बहुत याद आता है, सब कुछ बहुत याद आता है।
तैयार होकर साइकिल उठाना,
मेरा नखरे दिखाना, मम्मी का मनाना,
पेटीज और फ्रूटी की रिश्वत पर एक रोटी खाना।
स्कूल से लौटकर वापस आना,
दरवाजे पर मम्मी को देखकर खुश हो जाना,
बहुत याद आता है,दौड़कर मम्मी का चाय लाना,
रात में बार-बार उठकर पापा का मेरा कमरे तक आना,
पढ़ते हुए मुङो पाकर, सिर पर हाथ फेरकर वापस लौट जाना।
वो लाड़ और वो गुस्सा सब याद आता है।
दूर जाने के बाद अपना शहर, अपना घर बहुत याद आता है।
It begins with self
6 days ago
जी हाँ दूर जाकर हर वो बाते याद आती है जो उस समय महत्वपूर्ण थी.
ReplyDeleteबेहतरी अभिव्यक्ति दी है आपने
बस यादें , बस यादें रह जाती हैं...
ReplyDeleteबिल्कुल सही है ......ऐसा ही होता था.....
ReplyDeleteबहुत बढिया !!भावपूर्ण रचना है ।बधाई।
ReplyDeletesunder******
ReplyDeletethanx
हे! प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर