Wednesday, March 26, 2014

आंखो देखा बनारस

बनारस पान, घाट और सांड़ों के लिए जाना जाता है। सो जगह-जगह दीवारें, सड़कें और कोने पाक की पीक से रंगे मिल जाएंगे। घाटों पर घूरे के ढेर, लोगों की आस्था की अति से आतंकित गंगा और हठी जिद्दी सांड़ बीच सड़क में चौपाल लगाए,  दौड़ते-भागते इठलाते इतराते बेखौफ घूमते हैं। बेचारे बाहर से आए पर्यटक तो इनसे बचते बचाते जैसे तैसे निकलते हैं। स्थानीय लोगों को तो आदत पड़ गई है। इन सब के बीच सड़कों पर अपनी हदें बढ़ातीं दुकानें और सड़क किनारे पड़े कूढ़े के ढेरों के अतिक्रमण के कारण सड़कें लगातार सिकुड़ती जा रहीं हैं। उस पर खुदी पड़ीं सड़कें जाम का जमकर समर्थन करती हैं। कबीर और प्रेमचंद की जन्मस्थली रहा बनारस, अपने आप में कई ऐतिहासिक धरोहरों को समेटे है। सारनाथ, अस्सी घाट दूसरे कई और घाट। कबीर की जन्मस्थली लहरतारा तो करीब करीब कूढ़े के ढेर पर ही बसा है। खुली नालियों आती बदबू से बचने के लिए मुंह का ढकना अतिआवश्यक हो जाता है। पिछले करीब दो सालों से हर महीनें ही बनारस जाना होता है। इस छोटे से अनुभव से जो तस्वीर बनारस की मेरे जहन में उभरती है, वह यह है।
  यह तस्वीर किसी एक मोहल्ले या गांव-कस्बे के आधार पर नहीं बनीं है, बल्कि खबरों को इकट्ठा करने की गरज से यहां के चिरई गांव, चोलापुर, आराजी लाईन्स, काशीविद्यापीठ से जुड़े गांव-कस्बों और शहर में ज्यादा से ज्यादा घूमने के बाद मेरे दिलो दिमाग में बनी है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार मोदी अब यहां से खड़े चुनाव लड़ रहे हैं। अब मोदी कह रहे हैं कि वह पूरे देश का विकास गुजरात की तर्ज पर करेंगे। हालांकि गुजरात में कैसा और किनके लिए विकास हुआ है, इस पर विवाद है। मोदी भाजपा से हैं। इससे पहले मुरली मनोहर जोशी भी भाजपा से ही यहां पर सांसद थे। 1991 से 1999 तक यहां भाजपा ही थी। इस बीच केवल 2004 में कांग्रेस थी। यहां तक कि 1951 से लेकर अब तक की बात करें तो कांग्रेस और भाजपा ही यहां की सीट पाती रही है। केवल 1967 में कम्युनिस्ट पार्टी के और 1977 में जनता पार्टी के चंद्र शेखर के खाते में यह सीट गई थी। अबकी मोदी जिसे लोग लहर या तूफान कहकर प्रचारित कर रहे हैं, उन्होंने मुरली मनोहर जोशी को ठेलकर कानपुर पहुंचा दिया है। लहर तक तो फिर भी ठीक है पर तूफान को मैं प्रचार नहीं दुष्प्रचार ही मानती हूं क्योंकि तूफान हमेशा विध्वंसक होत है। विनाश लाता है। खैर यह मोदी के प्रचारक तय करें कि मोदी विनाश लाएंगे या विकास ? अब देखते हैं, मोदी आते हैं या और कोई। मोदी आएंगे देश के लिए बदलाव होगा पर बनारस में तो भाजपा ही थी पहले भी।




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