कल मारग्रेटा विद स्ट्रा फिल्म देखी। फिल्म की कहानी और कलाकार दोनों कमाल हैं। हालांकि आम जन को यह लुभाएगी इसमें संदेह है। सेरिब्रल पैलेसी नाम की बिमारी से जूझती एक लड़की की बेहद उम्दा कहानी। मोटे तौर पर सेरिब्रल पैलेसी एक एसी बिमारी है, जिसमें मोटर नर्व यानी हाथ पैरों, आवाज का संचालन करने वाली व्यवस्था गड़बड़ा जाती है। आवाज साफ नहीं आती, हाथ-पैर दिमाग का कहा नहीं मानते। मगर दिमाग बिल्कुल ठीक रहता है। उसके सोचने समझने की क्षमता सामान्य होती है। अमूमन किसी भी तरह की विकृति का शिकार लोगों को दया का पात्र ही दिखाया जाता है। मगर इस फिल्म में यह लड़की न तो अपनी इच्छाएं दबाती है और न हीं एक संपादित की हुई जिंदगी जीती है। वह दिल्ली की एक शरारती, शैतान लड़की है। गाने कंपोज करती है, अवार्ड पाती है। जब अवार्ड देने वाली महिला उसके ऊपर दया दिखाने की कोशिश करती है तो वह उसका जवाब बीच की उंगली दिखाकर देती है। वह सेक्स करना चाहती है. करती भी है। वह न्यूयार्क जाती है पढ़ाई भी करती है। उसका परिवार सपोर्ट करता है। हिंदी सिनेमा के अनुसार थोड़ा एक्पोज ज्यादा किया गया है. जो इसे पारिवारिक फिल्म होने से रोकती है। नहीं तो यह फिल्म जिंदगी को एक नए नजरिए से देखने का मौका देती है।
एवरेस्ट गर्ल मेघा परमार: ज़िद का जादू
18 hours ago
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